Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
उन्होंने बताया कि हवलदार रोहित कुमार, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी एक गहरी दरार में फंस गए थे और उनके शव करीब नौ महीने तक बर्फ की मोटी परतों के नीचे दबे हुए थे। रक्षा सूत्रों ने बताया कि उनके शव गत एक सप्ताह में बरामद किए गए।
नई दिल्ली/लेहः लद्दाख में पिछले साल अक्टूबर में एक पर्वतारोहण अभियान के दौरान 18,300 फुट की ऊंचाई पर हिमस्खलन में चार सैनिकों की मौत हो गई थी जिनमें से तीन जवानों के शव बरामद कर लिए गए हैं। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हवलदार रोहित कुमार, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी एक गहरी दरार में फंस गए थे और उनके शव करीब नौ महीने तक बर्फ की मोटी परतों के नीचे दबे हुए थे। रक्षा सूत्रों ने बताया कि उनके शव गत एक सप्ताह में बरामद किए गए।
उन्होंने बताया कि हादसे में मारे गए चौथे सैनिक लांस नायक स्टैनजिन टार्गैस का शव हादसे के बाद ही बरामद कर लिया गया था। रक्षा सूत्रों ने बताया कि जुलाई 2023 में सेना के अधीन गुलमर्ग में कार्यरत विशिष्ट प्रशिक्षण संस्थान हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (एचएडब्ल्यूएस) के 38-सदस्यीय अभियान दल ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में माउंट कुन को फतह करने के लिए प्रस्थान किया था। अभियान एक अक्टूबर को शुरू हुआ और टीम को 13 अक्टूबर तक शिखर तक पहुंचने की उम्मीद थी।
सूत्र ने कहा, ‘‘बर्फ से ढके इस क्षेत्र में खतरनाक भू अवसंरचना और अप्रत्याशित मौसम ने भारी चुनौतियां पेश कीं... टीम आठ अक्टूबर को फरियाबाद ग्लेशियर पर शिविर संख्या दो और तीन के बीच 18,300 फुट की ऊंचाई पर अचानक हिमस्खलन की चपेट में आ गई और टीम के चार सदस्यों की मौत हो गई।'' सूत्रों ने बताया कि शवों को बरामद करने के लिए 18 जून को ‘‘ऑपरेशन आरटीजी (रोहित, ठाकुर, गौतम)'' शुरू किया गया था। इस मिशन का नाम लापता सैनिकों के सम्मान में रखा गया था और बचाव अभियान में 88 विशेषज्ञ पर्वतारोही शामिल थे।
उन्होंने बताया कि खुम्बाथांग से लगभग 40 किलोमीटर पहले एक कैंप स्थापित किया गया और दो हेलीकॉप्टर को भी तैयार रखा गया। उन्होंने बताया कि सड़क से करीब 13 किलोमीटर दूर 14,790 फुट की ऊंचाई पर आधार शिविर स्थापित किया गया। एचएडब्ल्यूएस के कमांडेंट मेजर जनरल ब्रूस फर्नांडीज आधार शिविर में स्वयं मौजूद रहे और अभियान की निगरानी की। एचएडब्ल्यूएस के डिप्टी कमांडेंट ब्रिगेडियर एस एस शेखावत ने व्यक्तिगत रूप से खोज अभियान का नेतृत्व किया।